Wednesday, February 15, 2012

कृपया जिहाद मत करिये... |



मेरे प्यारे मुस्लिम भाइयो, ,
ये  लेख आपको अपना समझ के लिख रहा हू  | आप हमारे बिछडे हुए भाई हैं, इसमें कोई शक नहीं | समय हालात ने हमे आप से दूर कर दिया पर आज फिर हमारे एक होने का समय आ गया हैं | एक वक्त था जब आपके पूर्वजो को इस्लामी हुकूमत में याँ तो जिजया कर ना चूका पाने या गर्दन बचाने  के लिए मुस्लमान होना पड़ा था | पर आज हालात बदल चुके हैं, आगे और भी बदलेंगे | आप सभी जानते हैं के हिन्दुस्थान पर बड़े जेहाद की तयारी चल रही हैं | मेरा ये लेख उसी सम्बन्ध में हैं | आप इतिहास उठा के देख ले हिन्दुस्थान में जेहाद हमेशा नाकामयाब हुआ हैं | और अब अगर भारत में फिर जेहाद का प्रयास हुआ तो निश्चित तौर पर यह अंतिम विनाशकारी प्रयास होगा, मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों के लिए | पर इस बार मुस्लिम भाइयो को अधिक नुक्सान होगा क्यों की आज से पहले हिंदू इतना ताकतवर कभी नहीं हुआ था | छठी शताब्दी से बारहवी शताब्दी और बारहवी शताब्दी से सत्रहवी शताब्दी तक का समय अत्याधिक रक्त रंजित रहा पर मुस्लिम जो सिर्फ कुछ प्रतिशत ही थे इस लिए बच पाए क्यों की हिंदू अपने बिछडे हुए भाइयो को वापस नहीं लेते थे |
     सन् अठारहा सौ के बाद तो हमारी सीमाए वापस अफगानिस्तान तक पहुच गयी थी, महाराजा रणजीत सिंह और वीर हरी सिंह नलवा के प्रयासों से | इस्लाम को बमुश्किल शुरूआती सफलता मिल पाई पैर जमाने के लिए क्यों की यहाँ के वीर क्षत्रियों ने शुरू में इस्लाम को भी एक ईश्वरीय सम्प्रदाय माना | पर आज यहाँ के क्षत्रिय इस्लाम की एक-एक बात जानते हैं मुस्लिमो की प्रयोग की हुई या की जा सकने वाली हर रणनीति से वकिफ हैं | भारत के हिंदू ही क्यों इस्लाम के बारे में पूरा विश्व अब जान रहा हैं | इस्लाम की उत्पत्ति, उसके शुरूआती इतिहास से वर्तमान इतिहास, मान्यताये, रीती रिवाज, कुरान हदीस लोग सब जान रहे हैं | सूचना क्रांति के बाद तो लोगो में जागरूकता दर बढ गयी हैं | खुद उन मुस्लिम भाईयो की सख्या में भी इजाफा हुआ हैं जिन्होंने इस्लाम को जानना चालू किया दुनिया के लगाये हुए आक्षेपों को जानकार, उन्होंने पुष्टि करने के बाद और संतोषप्रद उत्तर ना मिलने पर या तो इस्लाम छोड दिया या छोड़ने का मन बना लिया | अफ्रीका में बड़े स्तर पर इसाई मिशनरी धर्मान्तरण करा रही हैं तो इस्लामी देशो में इन्टरनेट के माध्यम से इस्लाम की जड़े हिल्ली हुयी हैं | इस्लामी देशो में तो इस्लाम पर खुली चर्चा करने वाली वेबसाइट प्रतिबंधित कर दी जाती हैं पर गैर-इस्लामी देशो में तो मुसलमानों तक इस्लामी किताबो के आदेशो का कच्चा-चिठा पहुच ही रहा हैं | भारत में भी शुद्धि अभियान चालू हैं |

पर इस्लाम के स्वाभाव को जानते हुए शांति को कायम रखने के लिए उन शुद्धियो का प्रचार नहीं किया जाता | आर्य समाज इन शुद्धियो में प्रमुख योगदान करता हैं | फिर उन मानसिक शुद्धियो का क्या जो आर्य विद्वानों की वेबसाईटस कर रही हैं |
   उधर आप लोगो का मनोबल बढ़ाने के लिए मौलवियो के प्रयास चलते रहते हैं की हमने इतने कन्वर्ट किये, उतने कन्वर्ट किये पर वास्तविकता कुछ और ही होती हैं | जब जर्मन द्वतीय विश्व युद्ध में अंग्रेजो को हराते थे तो इंग्लैंड के अखबार इंग्लैंड जीत रहा हैं इस प्रकार झूठ लिख कर मनोबल बढ़ाते थे | वही हाल आज इस्लाम का हैं | इंग्लैंड युद्ध जीता पर झूठ की बदौलत नहीं बल्कि जर्मंस के मुकाबले बेहतर होने की वजह से | आप खुद देखिये इस्लामी शिक्षाओ ने आपको क्या दिया ? अधिक आबादी बढ़ाने के कारण गरीबी दी | कुरान से चिपका के रखने और दीन पर सवाल नहीं की शिक्षा के कारण सामाजिक अशिक्षा दी | गैर-मुसलमानों को काफ़िर मानने के करण खामखा की दुश्मनी दी | अब जब लोग इस्लामी इतिहास या रसूल के जीवन का इतिहास उठा कर मुसलमानो से सवाल करते हैं तो उतर देने के बजाये कुरान या हदीस के सही अनुवाद या वहा ना होने का बहाना ही देना पड़ता हैं | अपने विश्वास से ही मुकरना पड़ता हैं | आखिर ऐसे विश्वास का क्या फायदा जो शर्मिंदगी दे | अगर ज़न्नत आपके नसीब में हैं तो वो किसी भी मार्ग से आपको मिलेगी चाहे किसी सम्प्रदाये में आप रहे, कैसे भी ईश्वर की उपासना करे | नसीब प्रमुख हैं क्यों की इस्लाम की ही माने तो सब कुछ तय हैं |
                       फिर भारत पर हम आते हैं | दुनिया में तो इस्लाम तेजी से उभरा पर भारत में सबसे बुरी तरह इस्लाम ने मुह की खायी | कई सौ साल शासन में रहने के बावजूद भी इस्लाम का भारत में प्रचार ना हो पाया | कितनी जंगे लड़ी, इस्लामी हुकूमत ने कितने अत्याचार किये पर हिन्दुओ का विश्वास  ना डिगा | हिन्दुओ ने अपनी गलतियाँ सुधारी और समुदाय को मजबूत करते गए | ऋषि दयानंद के प्रादुर्भाव से मुस्लिम भाइयो को घर वापस भी लिया जाने लगा | यानि हिन्दुओ की तरफ से मुसलमानों को भी अपनी गलती सुधारने का मौका दिया गया | हिंदू और मुसलमानों के लड़ने का कोई कारण नहीं | खासतौर पर भारत में जहा हिंदू इतना ज्यादा सशक्त हैं के मुस्लिम भाइयो में से जेहादी मानसिकता वाले लोगो से युद्ध की सम्भावना में वह उन्हें पूरी तरह नष्ट कर सकता हैं, पर इसमें नुक्सान हमारे शांति प्रिय मुस्लिम भाइयो का भी हो सकता हैं | बड़ी समस्या उन मुस्लिम भाइयो के लिए हैं जो जेहाद की तैयारी कर रहे हैं | पर मुश्किलें उनके लिए भी कम नहीं जो उन्हें मौन समर्थन कर रहे हैं | तो जिस प्रकार हिन्दुओ ने अपनी गलती सुधारी हमारे मुस्लिम भाई भी अपनी गलती सुधारे और घर वापस आ जाये, शुद्धि के मार्ग पर | फिर ना कहियेगा हमने मौका ना दिया |



और हमारे शांति प्रिय मुस्लिम भाई जेहादी भाइयो को समझाए के बिना यहाँ के हिन्दुओ का खुनी खेल याद किए फिर जेहाद की तैयारी करना भारत से इस्लाम और मुस्लिमो के नाश करने का प्रयास हैं | इस से वो मुस्लिम समुदाये का ही नुक्सान कर रहे हैं |
उनके इस प्रयास से दारुल इस्लाम तो बनने से रहा उल्टा इस्लाम का नाम जरुर मिट जायेगा |
हिंदू शिवा जी महाराज के मराठा साम्राज्य से कही ज्यादा ताकतवर हैं और ये बात खुद मुस्लिम भी जानते हैं |  गोधरा में जेहाद के नाम पर ट्रेन की बोगी में ५९ कारसेवको को जलाने वालो को स्वप्न में भी कल्पना नहीं थी की हिंदू ऐसा प्रतिकार करेंगे | अगर उन्हें पता होता तो शायद वे ऐसी मूर्खता कभी ना करते | तो मुस्लिम भाइयो जेहाद मत करो ना करने वालो का साथ दो क्यों की अगर यु आप लोग बम फोड़ते रहेंगे या दंगे करेंगे या आबादी संतुलन बिगाडेंगे तो ज्यादा दिन तक हिंदू वीरो को, आर्य वीरो को रोकना मुश्किल होगा |
जेहाद का मार्ग छोडना ही विनाश से बचने का सरलतम उपाय हैं | ताकतवर वो नहीं जो मारे, ताकतवर वो होता हैं जो मार खा कर उठ खड़ा होता हैं और पलट कर मारता हैं | हिन्दुओ को जितनी मार खानी थे उन्होंने खा ली और उठ कर वे खड़े भी हो गए अब बेहतर हैं हम भाई लड़ना बंद करे वरना घर वापस होने को हमारे भाई ही ना होंगे | आप जेहाद छोड़ने की बात से शायद मुझसे सहमत ना हो पर हिंदू सशक्तिकरण और पूर्ण विनाश की बात से तो सहमत होंगे ही |
  और आप जब जेहाद का मार्ग या समर्थन छोड ही रहे हैं तो पुनः वैदिक धर्म को जानिए और वापस वैदिक (हिंदू) धर्मं में आ जाइये | कम से कम आप अपनी सुरक्षा का प्रत्याभूत तो ले लेंगे इस प्रकार | आपकी शुद्धि के पश्चात सुरक्षा का जिम्मा हम पर होगा | आप हिन्दुओ में उस एक ईश्वर की उपासना कर सकते हैं आर्य समाज के माध्यम से | बाकि आपकी किसी पंथ में रूचि हो तो वो आपकी निजी होगी और आप उसके लिए स्वतंत्र होंगे | हर सवाल का जवाब हैं, वैदिक धर्मं में | इस्लाम को जितना फैलना था फ़ैल चूका अब मुस्लिमो की सबसे बड़ी समस्या इस्लाम ही बन गया हैं | इस लिए भाइयो वापस अपने भाइयो से गले मिलिए और आर्य समाज के माध्यम से शुद्धि कर के धर्मं में वापस आइए | आपकी सुरक्षा, आपके बच्चो की शादी और उनके रोजगार का जिम्मा हम पर होगा | आइये फिर से एक हो कर राष्ट्र का उत्थान करे |

सर्वे भवन्तु सुखिनः

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