Sunday, September 15, 2013

कम्युनिस्म का नया रूप : आम आदमी पार्टी

कम्युनिस्म यानी साम्यवाद ये उपजा पूंजीवाद से, पूंजीवाद उपजा आद्योगिक क्रांति से, आद्योगिक क्रांति का बौधिक श्रोत दुर्भाग्य से यूरोपीय जातियों का लालच के साथ आर्यावर्त आगमन | हमारे यहाँ महर्षि मनु के आदेशानुसार महायंत्रो का निर्माण निषेध रहा और उनकी आज्ञा पालन होती रही पर जितनी भी तकनीक थी वो सब विद्या चली गई | जो स्वायत्त उद्धमी थे हमारे जैसे जुलाहे, लोहार,इस्पात उत्पादक,कुम्हार इत्यादि वो सब धीमे-२ केंद्रीकृत होता गया और लोग अपना काम छोड़ के नौकरी करने लगे | तो इस प्रकार पूंजी एक जगह एकाग्रित होने लगी बजाये सबमे योग्यता अनुसार वितरित होने के | यहाँ जन्म हुआ पूंजीवाद का जहा शक्ति और नियंत्रण कुछ एक के हाथ में रहता है | पूंजीवाद के थोड़े ही समय में उसके बनाये गड्ढे से साम्यवाद की विचारधारा का जन्म हुआ | जब आप नौकरी करेंगे उनकी जिन्होंने महर्षि मनु के प्रकृति के अनुसार चलने वाले आदेश का पालन नहीं किया वो महर्षि मनु के अपने भृत्यो (नौकरों) को पहले भोजन खिला के भोजन करो वो भला क्या पालन करेंगे | वो तो अपने नौकरों के मुख का निवाला भी छीन लेंगे | तो मजदुर संगठनों का जन्म होना स्वाभविक है वही हुआ | लेबर यूनियन, ट्रेड यूनियन बनवा-२ कर साम्यवाद की विचारधारा को पनपाया और स्थान-२ पर खुनी क्रांति लाइ गई | संपन्न धनाढ्य वर्ग का भीषण जनसंहार हुआ, धर्म को अफीम माना गया | पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों ही नास्तिकता प्रचारित करते है | पर अब पूंजीवाद का चेहरा बदला है आज का कोर्पोरेट जगत कहा जाता ग्लोबलाइस्ड सिस्टम में यहाँ कम्युनिस्म की जगह कैसे बनाई जाए |
तो देखिये जिस प्रकार पूंजीवाद ने ही साम्यवाद की विचारधारा को जन्म दिया और पनपाया | आज स्वरुप बदल के ये कोर्पोरेट कल्चर में ट्रेड यूनियन संभव नहीं और समस्या नौकरों को भी नहीं | इस सिस्टम ने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को जन्म दिया | वास्तविकता ये है के पूंजीवादी व्यवस्था की शासन व्यवस्था कहलाती है लोकतंत्र | लोकतंत्र चलता है धनवानों के आधार पर | आप कुछ भी कर ले ये व्यवस्था बिना अमीरो के चुनाव खर्च कोई लोकतांत्रिक देश नहीं उठा सकता | तो लोकतंत्र और धनवानों की पूंजीवादी गठजोड़ जन्म देती है भ्रष्टाचार युक्त तंत्र को | जो दान में धन देगा चुनाव लड़ने को वो लाभ उठाएगा जीतने वाले अपने भिक्षु नेता से | जो नेता खर्च कर के आया है वो धन कमाएगा ही कमाएगा | आप कोई कानून बना ले इस व्यवस्था में आप भ्रस्टाचार से नही निकल पाएँगे | होगा क्या रूपए का अवमूल्यन, परिणामतः महगाई बढ़ेगी आम आदमी परेशान होगा | यहाँ इसके विकल्प की आवयश्कता पड़ेगी तो लीजिए विकल्प खड़ा है |

ये बात करेंगे जिसकी नगरीय जनता सुनना चाहती है | आज का मध्यम वर्ग ये कम्युनिस्ट मनिफेस्तो के Bourgeoisie and Proletariat विषय में Bourgeoisie पर पकड बनाना हुआ आम आदमी पार्टी का एक धेय | बिजली, पानी, पेट्रोल, भ्रष्टाचार ये भोली जनता फसी हुई रोज की दाल-रोटी में, इन्हें फसाया भी इसी लिए गया था के ये अपने मुद्दों से बाहर निकलेंगे तब तो राष्ट्रिय हित के मुद्दों को देखेंगे, धर्म-अधर्म देखेंगे, बड़ा सोच पाएंगे | किसे परवाह कश्मीर की अगर उनके क्षेत्र में परिस्थिति सालो बाद वहा आने वाली है | सो लीजिए प्रशांत भूषण जैसे लोग लिए गए एक एजेंडा पूरा करने के लिए | राष्ट्रवाद नहीं होना चाहिए सीमाए खत्म करने का कम्युनिस्ट विचार ही सोवियत संघ इतने समय तक खड़ा रहा | धर्म अफ़ीम है सो कुमार विश्वास जैसे लोग है इस एजेंडे की पुष्टि के लिए के लो हम आपके भगवानो का यु मजाक उड़ाते है | यहाँ सोनिया गाँधी की ही तरह केजरीवाल भी अब कम बोलना सीख गए है | ये सब बड़ा पूर्व नियोजित हुआ |

पहले बड़े-२ घोटाले फिर उनका रहस्योद्घाटन फिर जन आंदोलन फिर दिखाना के इस से कुछ नहीं होगा आपको सिस्टम में घुस के ठीक करना होगा अंदर से | और यही प्रकाश झा ने भी अपनी फिल्म सत्याग्रह में दिखाया जिसकी हम आगे चर्चा करेंगे | तो एक सरल सा सवाल उठता है के आप का क्या प्रत्याभूत (गारंटी) के आप नहीं भ्रष्ट होंगे | क्या आप जनता के १०-१० रूपये चंदे से चुनाव प्रचार कर पाएँगे | क्या आपको अपना हित साधने पूंजीपति या बाहरी धन से सहायता नहीं मिल रही ? फिर आप क्यों ना उनकी ही तरह बेईमानी करेंगे | जैसे २५ साल के कांग्रेस शासन से जनता उबी तो जनतापार्टी की सरकार बनी फिर पुनः कुछ वर्षों बाद बी.जे.पी, एन.डी.ए गठबंधन के साथ आई | पर कार्य उसने वही सब किये जो कांग्रेस कर रही थी जब के उसने वोट कुछ और कह के लिए थे | बबूल का पेड आम नही दे सकता कोई भी खाद डाल के देख ले | समस्या चुनाव व्यवस्था है जहा १ बलात्कारी दुराचारी के मतदान का मूल्य भी उतना ही है जितना किसी धर्मात्मा सज्जन का | ये ऐसे ठीक नहीं होगा, ये ब्रिटिश पार्लियामेंट्री सिस्टम है हमारी प्रजतंत्र व्यवस्था त्रयी संसदीय है जिसका संछिप्त वर्णन ऋषि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश में दिया है |
तो अभी आम आदमी पार्टी का क्या खतरा उसके लिए इतना लिखने का कारण क्या है ये उतना महत्व का सामाजिक मुद्दा आपको नहीं दिखा होगा जितना के इस मंच पर होना चाहिए | हम अपनी चिंता स्पष्ट करते है जो हमें दिख रहा | नक्सली जो कम्युनिस्ट विचारों का हिंसक रूप हैं वे यदि २०१८-१९ तक विद्रोह करते है तो ऐसे में उन्हें दिल्ली जीतना होगा | बोल्शेविक क्रांति की तरह भारत में भी यदि दिल्ली पर नियंत्रण हों जाता तो पुरे देश पर हों जाएगा | तो यदि चीन बाहर से हमला करता है और नक्सली हमला करते है तो केवल दिल्ली अंदर से जितनी होगी | और यदि दिल्ली में किसी उनके अपने की सरकार हुई तब | राज्य सरकारआन्दोलन की अनुमति और सशस्त्र क्रांति के लिए पुलिस छूट आसानी से दिल्ली में प्रवेश अनुमति दे देगी | तो समझिए दूरगामी उद्देश्य के क्यों धर्म या राष्ट्र धर्म की बात नहीं करती आम आदमी पार्टी ? क्यों गौ रक्षा उनका विषय नहीं ? कश्मीर के विरोध में बयां देने वाले |
सत्याग्रह चलचित्र जो की प्रकाश झा द्वारा निर्देशित है वो देख कर जो बाते समझ आएंगी वो ये की आपको इण्डिया गेट का बासमती चावल खाना चाहिए, घर में अल्ट्रा टेक सीमेंट से घर बनवाना चाहिए, अखबार हिन्दुतान पढ़ना चाहिए, और टी वी चैनल ए बी पी न्यूस देखना चाहिए | यही नहीं जो एक ईमानदार पार्टी है वो आज के समय में आम आदमी पार्टी है खैर ये आपको फिल्म के अंत में पता चलेगा यदि आपकी स्मरण शक्ति प्रबल होगी | सत्याग्रह का और उसके निर्देशक का विषय क्यों उठाया यहाँ वो आपको लेख के अंतिम भाग तक स्पष्ट हों जाएगा | ज्ञात हों के प्रकाश झा रामविलास पासवान की जनता दल सेक्युलर की टिकट से २००४ और २००९ में चुनाव लड़ के हार चुके है |
सत्याग्रह बनाने वाले प्रकाश झा चक्रव्यूह जैसी फिल्म भी बना चुके है जिसमे नक्सली शोषित वर्ग दिखाया गया | आज २०० से ऊपर जिलो में नक्सली फ़ैल चुके है | दिल्ली और महानगरों में ये लोग अपने लड़के कोचिंग सेंटर्स के माध्यम से भेजते है | दिल्ली में तो हिन्दुवादी संगठनों में भी घुसने का प्रयास रहा इनका | तो ये लोग यु ही शांत नहीं बैठे या फ़ैल नही रहे | दिल्ली सुरक्षित है जैसे तैसे यदि भाजपा या कांग्रेस रहे पर वामपंथी विचारों का कोई आया तो खतरा बाहरी हों जाएगा | जिसके लिए जनता तैयार नहीं या सेना जब तक अपना निर्णय ले देर हों चुकी हों |
नक्सली कोई देश हित का कार्य नहीं कर रहे है | हमारे ही जवानों को मारने वाले, आर्थिक तौर पर भी देश में गरीबी बढा रहे है | नक्सली क्षेत्रो से अयस्क जापानी कंपनी निकाल रही | जब के अनेको छत्त्तीसगढ़ के अनेक जिलो के अनेक ग्रामो में कुटीर उद्योग की तरह पुनः स्टील उद्योग खड़ा किया जा सकता है | नक्सली संघठन चीन द्वारा पोषित हुए और अब तो वो चीन के भी कमाऊ पुत साबित हों गए है | हजारों करोड रूपए का बजट बनता है इन संघठनो का जिनपर सरकार ध्यान नहीं देती | यदि राजव्यवस्था चाहे तो १० दिन में सब साफ़ हों जाए | नक्सल विद्रोह कहा से शुरू हुआ और कहा पहुच गया |  नक्सलबाड़ी से शुरू हुआ विद्रोह के आन्दोलन का अग्रणी नेता कानू सान्याल वर्तमान नक्सल आन्दोलन की गति से छुब्द हों कर ७८ वर्ष की आयु में आत्म हत्या कर ली |
प्रकाश झा संभव है के आम आदमी पार्टी से अगला चुनाव हारने की तैयारी कर रहे हों | विशुद्ध भारतीय भाषा में कितने राजनितिक दलो के नाम आपने सुने होंगे ? हिंदू महासभा, आर्यवीर दल, राजार्य सभा(६० के दशक का दल जिसके संस्थापक इन्द्रदेव यति आज भी १०० वर्ष के लगभग है और जीवित है रामदेव इन्ही के मुद्दे उठा रहे है), हरयाणा का राज आर्य निर्मात्री सभा पर जितने भी भारतीय भाषा में या सांस्कृतिक नाम जुड़ा होता उनका कोई भविष्य नहीं बनाने दिया जाता | साधारण सा सूत्र समझिए के जहा पार्टी शब्द लगा हों, या आंग्ला का शब्द वहा विदेशी हस्ताक्षेप तो निश्चित ही है | कांग्रेस विशुद्ध विदेशी शब्द जो देश में संगठन के नाम पर शासन कर रहा | समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जनता दल सेक्युलर, जनता दल यूनाइटेड, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया और अब आम आदमी पार्टी | यदि ये दल और इसके नियोजक देश भक्त है और वास्तव में भ्रस्ताचार के विरुद्ध है तो इन्हें राष्ट्र हित के मुद्दे बोलने में झेप नहीं होनी चहिये | कश्मीर पर स्पष्ट रुख दे केजरीवाल, गौ रक्षा पर समर्थन करे, भाजपा की बुराई करते नहीं थकते तो जरा भाजपा की तुष्टिकरण की भी आलोचना करे | धार्मिक सौहार्द के लिए ये आवश्यक है के जो चीज जैसी है उसे वैसा ही कहा कहा जाए | विदेश निति पर अपनी राय स्पष्ट करे और अतए के वो कैसे चुनाव के महंगे खर्च से बचेंगे | वो अपने मिले दान का ब्यौरा सार्वजनिक करेंगे | फिल्मो को बहुत लंबे समय से भारतीय जनता के अवचेतन में बसे नैतिक सिधान्तो को मिटने के लिए किया जा रहा | अब फिल्मे उनके अवचेतन में अपने विचार बैठा रही | १ चलचित्र ऐसा नही कर पाता पर निरंतर उसी विषय पर सब एक जैसा बोले जो जनमानस की सोच बदलती है | भारत की जनता इस षण्यंत्र को जितनी जल्दी समझे उतना अच्छा | वर्तमान में लोगो के पास सिर्फ नरेन्द्र मोदी जी का विकल्प बचा है | पर ये पूर्ण समाधान नहीं, परिवर्तन के लिए अभी जनता में चाह नहीं जनता जानती ही नहीं के समस्या कहा है | समस्या हमारा लोकतंत्र है और इसे वैदिक प्रजतंत्र में जब तक नहीं किया जाएगा गोल-२ चक्कर लगाती रहेगी जनता |
ओम् शुभम् 

Sunday, September 8, 2013

क्या आप मुज्जफरनगर की घटना से आने वाला समय देख पाए?क्या आप तैयार है ?

सपा सरकार आई तो मायावती के प्रशासन का महत्व समझ आने लगा | धडाधड दंगे और एक वर्ग विशेष द्वारा छोटी-२ बातों को लेकर झगडा करना और उस झगडे को इतना बढ़ा देना के जिला स्तर पर कर्फ्यू से नीचे की तो कार्यवाही ना होना | ये बुलंद हौसले बता रहे है उस वर्ग के जो कह रहा है अब सरकार हमारी है | हम तुम्हारी बहु बेटियों के साथ जैसा चाहे वैसा खेलेंगे और विरोध करोगे तो मार देंगे | चिंतन और चर्चा करोगे तो मार देंगे | बैंक में अगर हमारा नम्बर नहीं आया तो हम गाली देकर उप्रद्र्व शुरू कर देंगे | हम पवित्र है शासक है और तुम दोयम दर्जे के नीच काफिर हों | ये सोच है उस वर्ग की जिहादी मानसिकता की जिसे अल्पसंख्यक कहा जाता है |
खैर पूरा उत्तर प्रदेश आने वाले समय में तबाही की कगार पर बैठा है | एक तो बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा बहुत ही पूर्व नियोजित ढंग से बस्तिया बसाई गई है | ये वही मुगलिस्तान की बेल्ट है जो ब्रह्मदेश (बर्मा:म्य्यांमर) बंगलादेश असोम बंगाल बिहार से होते हुए उत्तर प्रदेश और फिर पकिस्तान को जोड़ती है | म्यांमार के अहिंसक बौधो को आई एस आई की ये सरल योजना समझ आगई | उन्होंने अपनी घर को साफ़ करना शुरू कर दिया पर हमारे यहा तो उनको बसाया जा रहा उनके दम पर सरकार चल रही है | और नमूने दिखाना शुरू कर दिया गया है | जिन्होंने उन २ भाइयो को मारते देखा उन्हें यही लगेगा के ये तालिबान या पाकिस्तान की कहानी होगी | पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तालिबानीकरण की सिर्फ शुरुआत है | मीडिया आपको तब तक अँधेरे में रखेगी जब तक आग आपके घर तक न आजाये | आज सेना के लोग सब देखते और जानते हुए भी कुछ नही कर सकते पर कल को पाकिस्तान हमला कर दे और यही विद्रोह उसी समय कर दिया जाए तो पहला सवाल सेना सीमा सम्हालेगी के घर ? दूसरा प्रश्न जो जाट,गुज्जर,राजपूत,यादव इत्यादि अनेको-अनेक जातीया सेना में है उनके परिवारों की सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा क्यों के उनके लड़के तो हमारी रक्षा कर रहे है सीमाओ पर या कही अन्य स्थानों पर | वे अपने परिवार, बहु बेटियों और समाज की सुरक्षा के लिए ही तो सीमा पर है पर तब वे कैसे लड़ेंगे जब उनका अपना घर खतरे की ओर होगा ? वे सीमा सम्हाले या अपना घर ?
नहीं ये बहुत व्यहवारिक प्रश्न है | पकिस्तान से लेकर भारत के जिहादियों ने ये सोच के रखा है क्यों के ये अब पुलिस से नही डरते | ये या तो सेना से डरते है या संगठित हिन्दुओ से | पर सेना बिना अधिकारों के साथ भेजी जाती है और संगठित हिंदू होता नहीं जब तक के पानी उसके सर पर ना आजाए तो अब सवाल उठता है आप भी यही प्रतीक्षा कर रहे है ? पानी सर के ऊपर आने का ? आपने अपनी घर की स्त्रियों, अपनी संपत्तियो की सुरक्षा के लिए क्या किया है ? निम्न प्रश्नों के स्वंय को उत्तर दे-
१.       क्या आपके घर में लाइसंसी असलहा है ?
२.       क्या आपको वो चलाना आता है ?
३.       क्या आपका परिवार बड़ा है ?
४.       क्या आपकी आपके पड़ोसियों से बनती है ?
५.       क्या आपके क्षेत्र मोहल्ला या ग्राम में कोई रक्षा समिति बनाने पर कार्य हुआ है ?
६.       क्या आपका नजदीकी पुलिस थाने में कोई परिचित है ?
७.       क्या आपके घर में १ लाठी है ?
८.       क्या आपको वो चलाना आता है ?
९.       क्या आप ४ भाई है और वो साथ या आसपास रहते है ?
१०.    क्या आपके ४-५ संताने है या आपने भी महगाई के कारण १-२ बच्चे कर रखे है ?
११.    क्या आपके क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ३० प्रतिशत से ऊपर है ?
अधिकतर सवालो के जवाब यदि ना में है तो यकीन मानिए आप घोर संकट में है | तो इनके समाधान सुनिए के लगभग २०१५ के बाद की स्तिथियो में खुद को कैसे बचाना है |
१.       अपने घर में लाइसेंसी हथियार अपनी आत्म सुरक्षा के लिए खरीद के रखे | चाहे मोटर साइकल बेच के ले या अपनी पत्नी के जेवर ये उन्ही की सुरक्षा के लिए है | आत्म रक्षा का अधिकार आपको संविधान देता है |
२.       जो ले उसे चलाना आना चाहिए | समय-२ पर अभ्यास करते रहे |
३.       कुछ नही रख सकते तो घर में एक लाठी ले ले और उसे चलाना सीखे |
४.       अपने बालक बालिकाओ को अ जुडो इत्यादि का प्रशिक्षण अवश्य से अवश्य दिलाए |
५.       क्षेत्र का कोई संगठन बना हों सुरक्षा के लिए तो उस से जुड़े |
६.       नहीं बना तो तुरंत ऐसे लघु मोहल्ला रक्षा समिति या ग्राम रक्षा समिति या मंदिर रक्षा समिति नाम के अंतर्गत संगठित हों जाए |
७.       अपने निकट पुलिस थानों के नम्बर रखे ताकी आपातकाल की स्तिथि में तुरंत सुचना दे सके |
८.       A.K 47, A.K56, या Hand Grenade का मुकबला भारत सरकार द्वारा मिलने वाले लाइसेंसी हथियारों से सामना नहीं किया जा सकता पर आपके द्वारा की गई तैयारी आपको उतनी देर जीवित रखेगी |
९.       पहला हमला वही करते है और यदि आप प्रतिकार को संगठित होंगे तो उनको सुरक्षित कर दिया जाएगा | अतः आपको बस पहले हमल से बचने के बारे में सोचना होगा | क्यों के बिना कारण तो आप संगठित होने से रहे |
१०.    क्षेत्र राज्य स्तर पर आपको एक ऐसा नेतृत्व चाहिए जो स्पष्टतः आपकी समस्या समझ सके | लोकतंत्र में ऐसा नेतृत्व नहीं मिलेगा |  आपके क्षेत्र के सज्जन पुरुषों को ऐसा व्यक्तित्व खोजना होगा | और ऐसे व्यक्ति की जीविका का दायित्व समाज का होगा |
११.    हर वो व्यक्ति जो कुछ नहीं कर सकता आपातकाल में जेहर की शीशी रखे | वे बहन-बेटिया जिनकी सुरक्षा उनके सम्बन्धी नहीं कर सकते उनके लिए बेइज्जती के जीवन से सम्मान की मृत्यु उत्तम है | यद्दपि ये निर्णय उनके स्वं का होना चाहिए इतिहास में महरानी पद्मावती जैसा उत्तम उदाहरण है जिन्होंने अपने शरीर को किसी कुत्ते के स्पर्श में नहीं आने दिया |
१२.    आपके पास अब ज्यादा अस्त्र बचे नहीं है अपनी सरकार के अभाव में जिहादियो का आर्थिक बहिष्कार वो भी तब तक जब तक वे जिहादी ये नहीं कहते के हम आपकी गाडी में हवा नही भरेंगे आपको सामान नहीं बेचेंगे तुम तो काफिर हों हमारे अपने लोगो से ही हमारी दूकान चल जाती है | क्यों के आपके पास से एक वर्ग खत्म हों रहा और वो सरकारी कार्यालयों में पानी पिलाने की नौकरी के लिए मर जा रहा है |

ऐसी व्यवस्था में आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते जहा राज सत्ता को बनाने वाला वो वर्ग हों जो आपको घृणा से देखता हों | बिलकुल सभी ऐसे नहीं होते १ बच्चे पैदा कर के जिहाद में आस्था ना रखने वाले वन्देमातरम गाने वाले उनमे से कुछ तो वापस आने की चाह रखने वाले मुस्लमान भी है | उनसे मेल-जोल, प्रेम व्यहवार बनाये रखे क्यों के उन जैसो की संख्या ही कितनी है और यदि वे वापस आना चाहे अपने पूर्वजो के वैदिक मार्ग पर तो उन्हें सहर्ष स्वीकार करे | उनसे रोटी-बेटी के सम्बन्ध वैसे ही रखे जैसे अपनी बिरादरी मे रखते है |
ज्यादा लिखने की इच्छा नहीं पर एक कवि की ये २ लाइन जरुर रखूँगा
उसके कत्ल पर मै चुप था, अगला नम्बर मेरा आया
मेरे क़त्ल पर आप चुप हों, अगला नम्बर आपका है