केजरीवाल को रमन मेग्सेसे पुरस्कार मिला है | ये पुरस्कार रोक्फेलर बंधुओ द्वारा प्रायोजित है | रोक्फेलर पूरी दुनिया में तेल पर नियंत्रण रखते है | भारत की तेल कंपनियों में भी अप्रत्यक्ष इनकी पकड है | मेग्सेसे पुरस्कार दिया गया है अब तक उस व्यवस्था को सुदृण करने वालो को जो आंग्ला लोगो (अंग्रेजो) ने बनाई थी | पहला मेग्सेसे पुस्कार सी दि देशमुख को मिला था रेसिर्व बैंक का पहला भारतीय गवर्नर और आई सी एस अधिकारी | परिवार नियोजन में कम बच्चे की योजना को बानू जहागीर कोयाजी, शुद्ध हुए मुसलमानों को वापस मुस्लमान करवाने वाले जे पी और विनोबा भावे को | संदीप पाण्डेय जैसे प्राध्यापकों को जो खुले आम भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रा की पाकिस्तान मे किये कार्यों की निंदा करते है | यानि विश्व बैंक की योजनाओ को जो सुदृण कर्ता है उसपर विशेष मेहेरबानी होती है इस पुरस्कार की |
केजरीवाल को प्रकाश में लाने का अर्थ ये है के भविष्य जब नरेंद्र मोदी की सरकार आयेगी तब स्वाभाविक है मुस्लिम वर्ग के जिहादी तत्व लड़ाई दंगे करे | पकिस्तान से युद्ध हों जाए चीन से भी हों सकता है तो ऐसे में लड़ने के बाद लोग उब जाएँगे के अब धर्म नहीं चाहिए | धर्म से तो दुःख मिलता है राम मंदिर की जगह अस्पताल बनवा दो कुछ काम आये राम मंदिर तो किसी काम का नहीं | ऐसे विचारों को पोषित करवाने के लिए राजनितिक विकल्प हुआ अरविन्द केजरीवाल के माध्यम से | खेल वही है अनार्यों के बनियों का | २०२४ के बाद या तो मुसलमानों के ताकत की कुछ समय के लिए सरकार बने या सीधे परिवर्तित शैली से कम्युनिस्ट लोगो की सरकार बने | यानी नास्तिको की, ईश्वर मानो ना मानो, विवाह करो ना करो, समलैगिक हों ना हों कोई फर्क नहीं पड़ता बस जीवन शैली अच्छी जियो भले कर्ज पर जियो |
एक ऐसा वर्ग जिसे कोई खास फर्क नहीं पड़ता के देश में क्या होता है या लोग कैसे जीते है उन्हें सुविधा चाहिए बिजली, पानी की जहा हिंदू मुस्लिम का मुद्दा भी न आये | आम आदमी पार्टी कांग्रेस का एक अच्छा विकल्प है जब तक के लोग खुद ना जान ले के समस्या बर्तानिया लोकतंत्र प्रणाली है जो हम पर थोपी गई है | लोकतंत्र के विरोध में बोलने का साहस कितने लोग कर पाएंगे | लोकतंत्र स्थापना के लिए तो जापान पर २-२ परमाणु बम गिरा दिये गए | आंग्ला (अंग्रेजी) से प्यार करने वाले वर्ग को भी विकल्प मिल गया “आप” के तौर पर |
अरविन्द केजरीवाल का अधिकतर कम पढ़े लिखे लोगो को उम्मेदवार घोषित करना संभवतः अपने दल में भविष्य में कोई प्रतिद्वंदी ना खड़ा होंने की सोच है | दल का एक मात्र योग्य ईमानदार चेहरा जो शासन करने लायक है ऐसा सिद्ध करने का प्रयोजन मात्र है | खाड़ी देशो से आये धन से उत्तर प्रदेश के मुस्लिम परस्त नेता खड़े हुए अब दिल्ली के अंदर ऐसे ही नेताओ को ताकत दिलाने का काम किया गया है | लोग बस १ चीज समझे के लोग तब तक सुखी नहीं हों पाएंगे जब तक वो अंग्रेजो के बनाये तंत्र से पीछा नहीं छुडाएंगे | ऐसी कोई योजना जो हमारे अन्न दाता यानी किसानो के हित की, अर्थ व्यवस्था के धुरी गौ माता के रक्षण संरक्षण की बात ना करे वो कभी देश में महंगाई कम नहीं कर सकती | पुरानी व्यवस्था को लाने के लिए हमें वेद की बात करनी होगी | स्वराज्य तब आयेगा जब हमें अपने गौरवशाली इतिहास को पुनः दोहराने की चाह होगी | उस व्यवस्था में सब सुखी थे बिना बैंको के, बिना नौकरियों के, बिना बड़ी-२ मशीनों के |
केजरीवाल को प्रकाश में लाने का अर्थ ये है के भविष्य जब नरेंद्र मोदी की सरकार आयेगी तब स्वाभाविक है मुस्लिम वर्ग के जिहादी तत्व लड़ाई दंगे करे | पकिस्तान से युद्ध हों जाए चीन से भी हों सकता है तो ऐसे में लड़ने के बाद लोग उब जाएँगे के अब धर्म नहीं चाहिए | धर्म से तो दुःख मिलता है राम मंदिर की जगह अस्पताल बनवा दो कुछ काम आये राम मंदिर तो किसी काम का नहीं | ऐसे विचारों को पोषित करवाने के लिए राजनितिक विकल्प हुआ अरविन्द केजरीवाल के माध्यम से | खेल वही है अनार्यों के बनियों का | २०२४ के बाद या तो मुसलमानों के ताकत की कुछ समय के लिए सरकार बने या सीधे परिवर्तित शैली से कम्युनिस्ट लोगो की सरकार बने | यानी नास्तिको की, ईश्वर मानो ना मानो, विवाह करो ना करो, समलैगिक हों ना हों कोई फर्क नहीं पड़ता बस जीवन शैली अच्छी जियो भले कर्ज पर जियो |
एक ऐसा वर्ग जिसे कोई खास फर्क नहीं पड़ता के देश में क्या होता है या लोग कैसे जीते है उन्हें सुविधा चाहिए बिजली, पानी की जहा हिंदू मुस्लिम का मुद्दा भी न आये | आम आदमी पार्टी कांग्रेस का एक अच्छा विकल्प है जब तक के लोग खुद ना जान ले के समस्या बर्तानिया लोकतंत्र प्रणाली है जो हम पर थोपी गई है | लोकतंत्र के विरोध में बोलने का साहस कितने लोग कर पाएंगे | लोकतंत्र स्थापना के लिए तो जापान पर २-२ परमाणु बम गिरा दिये गए | आंग्ला (अंग्रेजी) से प्यार करने वाले वर्ग को भी विकल्प मिल गया “आप” के तौर पर |
अरविन्द केजरीवाल का अधिकतर कम पढ़े लिखे लोगो को उम्मेदवार घोषित करना संभवतः अपने दल में भविष्य में कोई प्रतिद्वंदी ना खड़ा होंने की सोच है | दल का एक मात्र योग्य ईमानदार चेहरा जो शासन करने लायक है ऐसा सिद्ध करने का प्रयोजन मात्र है | खाड़ी देशो से आये धन से उत्तर प्रदेश के मुस्लिम परस्त नेता खड़े हुए अब दिल्ली के अंदर ऐसे ही नेताओ को ताकत दिलाने का काम किया गया है | लोग बस १ चीज समझे के लोग तब तक सुखी नहीं हों पाएंगे जब तक वो अंग्रेजो के बनाये तंत्र से पीछा नहीं छुडाएंगे | ऐसी कोई योजना जो हमारे अन्न दाता यानी किसानो के हित की, अर्थ व्यवस्था के धुरी गौ माता के रक्षण संरक्षण की बात ना करे वो कभी देश में महंगाई कम नहीं कर सकती | पुरानी व्यवस्था को लाने के लिए हमें वेद की बात करनी होगी | स्वराज्य तब आयेगा जब हमें अपने गौरवशाली इतिहास को पुनः दोहराने की चाह होगी | उस व्यवस्था में सब सुखी थे बिना बैंको के, बिना नौकरियों के, बिना बड़ी-२ मशीनों के |
आइये वेदों के और लौटने का प्रयास करे | ऋषि मुनियों के भारत के निर्माण पर कार्य करे ना के ऐसे लोगो की जो समलैगिको को बीमार मानने के बजाये उन्हें बढ़ावा देने का कार्य करे | आइये हम आस्तिक और चरित्रवान भारत का निर्माण करे |
बहूत ही अच्छी जानकारी दी हे आपने आभार ....
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteएक संशयग्रस्त नवयुवक बसंत झरिया, जो कि बहुत समय तक महर्षि दयानंद का अनुयायी रहा है के सुर अब बदल गए है, शायद विज्ञान के अत्यधिक आग्रह अथवा दम्भ के कारण | अब वह aryasamaj.org एवं aryasamajonline group पर नास्तिकता से भरे दयानंद विरोधी लेख डालने लगा है तथा कई स्थान महर्षि क़ी बातों को अवैज्ञानिक बता रहा है | यह युवक आरम्भ से ही संशयग्रस्त रहा है तथा समय समय पर इसके विचार बदलते रहे हैं |
ReplyDeleteनमस्ते जी, बसंत स्किजोफ्रेनिया से पीड़ित है | इस बिमारी का प्राथमिक लक्षण ही वैचारिक स्थिरता ना होना है | विज्ञान से ऋषि दयानंद कही भी भिन्न नहीं लिखते है | मेरी आस्तिकता उन्ही की ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका पढ़ कर बढ़ी है | ऋषि दयानंद और पूर्व के सभी ऋषि आज के विज्ञान से कही उच्चतर स्तर की बाते लिख गए है |
Delete