सपा सरकार आई तो मायावती के प्रशासन का महत्व समझ आने लगा | धडाधड दंगे
और एक वर्ग विशेष द्वारा छोटी-२ बातों को लेकर झगडा करना और उस झगडे को इतना बढ़ा
देना के जिला स्तर पर कर्फ्यू से नीचे की तो कार्यवाही ना होना | ये बुलंद हौसले
बता रहे है उस वर्ग के जो कह रहा है अब सरकार हमारी है | हम तुम्हारी बहु बेटियों
के साथ जैसा चाहे वैसा खेलेंगे और विरोध करोगे तो मार देंगे | चिंतन और चर्चा करोगे
तो मार देंगे | बैंक में अगर हमारा नम्बर नहीं आया तो हम गाली देकर उप्रद्र्व शुरू
कर देंगे | हम पवित्र है शासक है और तुम दोयम दर्जे के नीच काफिर हों | ये सोच है
उस वर्ग की जिहादी मानसिकता की जिसे अल्पसंख्यक कहा जाता है |
खैर पूरा उत्तर प्रदेश आने वाले समय में तबाही की कगार पर बैठा है | एक
तो बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा बहुत ही पूर्व नियोजित ढंग से बस्तिया बसाई गई
है | ये वही मुगलिस्तान की बेल्ट है जो ब्रह्मदेश (बर्मा:म्य्यांमर) बंगलादेश असोम
बंगाल बिहार से होते हुए उत्तर प्रदेश और फिर पकिस्तान को जोड़ती है | म्यांमार के
अहिंसक बौधो को आई एस आई की ये सरल योजना समझ आगई | उन्होंने अपनी घर को साफ़ करना
शुरू कर दिया पर हमारे यहा तो उनको बसाया जा रहा उनके दम पर सरकार चल रही है | और
नमूने दिखाना शुरू कर दिया गया है | जिन्होंने उन २ भाइयो को मारते देखा उन्हें
यही लगेगा के ये तालिबान या पाकिस्तान की कहानी होगी | पश्चिमी उत्तर प्रदेश में
तालिबानीकरण की सिर्फ शुरुआत है | मीडिया आपको तब तक अँधेरे में रखेगी जब तक आग
आपके घर तक न आजाये | आज सेना के लोग सब देखते और जानते हुए भी कुछ नही कर सकते पर
कल को पाकिस्तान हमला कर दे और यही विद्रोह उसी समय कर दिया जाए तो पहला सवाल सेना
सीमा सम्हालेगी के घर ? दूसरा प्रश्न जो जाट,गुज्जर,राजपूत,यादव इत्यादि
अनेको-अनेक जातीया सेना में है उनके परिवारों की सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा क्यों
के उनके लड़के तो हमारी रक्षा कर रहे है सीमाओ पर या कही अन्य स्थानों पर | वे अपने
परिवार, बहु बेटियों और समाज की सुरक्षा के लिए ही तो सीमा पर है पर तब वे कैसे
लड़ेंगे जब उनका अपना घर खतरे की ओर होगा ? वे सीमा सम्हाले या अपना घर ?
नहीं ये बहुत व्यहवारिक प्रश्न है | पकिस्तान से लेकर भारत के
जिहादियों ने ये सोच के रखा है क्यों के ये अब पुलिस से नही डरते | ये या तो सेना
से डरते है या संगठित हिन्दुओ से | पर सेना बिना अधिकारों के साथ भेजी जाती है और
संगठित हिंदू होता नहीं जब तक के पानी उसके सर पर ना आजाए तो अब सवाल उठता है आप
भी यही प्रतीक्षा कर रहे है ? पानी सर के ऊपर आने का ? आपने अपनी घर की स्त्रियों,
अपनी संपत्तियो की सुरक्षा के लिए क्या किया है ? निम्न प्रश्नों के स्वंय को उत्तर
दे-
१.
क्या आपके घर में लाइसंसी असलहा है ?
२.
क्या आपको वो चलाना आता है ?
३.
क्या आपका परिवार बड़ा है ?
४.
क्या आपकी आपके पड़ोसियों से बनती है ?
५.
क्या आपके क्षेत्र मोहल्ला या ग्राम में कोई रक्षा
समिति बनाने पर कार्य हुआ है ?
६.
क्या आपका नजदीकी पुलिस थाने में कोई परिचित है ?
७.
क्या आपके घर में १ लाठी है ?
८.
क्या आपको वो चलाना आता है ?
९.
क्या आप ४ भाई है और वो साथ या आसपास रहते है ?
१०.
क्या आपके ४-५ संताने है या आपने भी महगाई के
कारण १-२ बच्चे कर रखे है ?
११.
क्या आपके क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ३० प्रतिशत
से ऊपर है ?
अधिकतर सवालो के जवाब यदि ना में है तो यकीन
मानिए आप घोर संकट में है | तो इनके समाधान सुनिए के लगभग २०१५ के बाद की स्तिथियो
में खुद को कैसे बचाना है |
१.
अपने घर में लाइसेंसी हथियार अपनी आत्म सुरक्षा
के लिए खरीद के रखे | चाहे मोटर साइकल बेच के ले या अपनी पत्नी के जेवर ये उन्ही
की सुरक्षा के लिए है | आत्म रक्षा का अधिकार आपको संविधान देता है |
२.
जो ले उसे चलाना आना चाहिए | समय-२ पर अभ्यास
करते रहे |
३.
कुछ नही रख सकते तो घर में एक लाठी ले ले और उसे
चलाना सीखे |
४.
अपने बालक बालिकाओ को अ जुडो इत्यादि का
प्रशिक्षण अवश्य से अवश्य दिलाए |
५.
क्षेत्र का कोई संगठन बना हों सुरक्षा के लिए तो
उस से जुड़े |
६.
नहीं बना तो तुरंत ऐसे लघु मोहल्ला रक्षा समिति
या ग्राम रक्षा समिति या मंदिर रक्षा समिति नाम के अंतर्गत संगठित हों जाए |
७.
अपने निकट पुलिस थानों के नम्बर रखे ताकी आपातकाल
की स्तिथि में तुरंत सुचना दे सके |
८.
A.K 47, A.K56, या Hand Grenade का मुकबला भारत सरकार द्वारा मिलने वाले
लाइसेंसी हथियारों से सामना नहीं किया जा सकता पर आपके द्वारा की गई तैयारी आपको
उतनी देर जीवित रखेगी |
९.
पहला हमला वही करते है और यदि आप प्रतिकार को
संगठित होंगे तो उनको सुरक्षित कर दिया जाएगा | अतः आपको बस पहले हमल से बचने के
बारे में सोचना होगा | क्यों के बिना कारण तो आप संगठित होने से रहे |
१०.
क्षेत्र राज्य स्तर पर आपको एक ऐसा नेतृत्व चाहिए
जो स्पष्टतः आपकी समस्या समझ सके | लोकतंत्र में ऐसा नेतृत्व नहीं मिलेगा | आपके क्षेत्र के सज्जन पुरुषों को ऐसा
व्यक्तित्व खोजना होगा | और ऐसे व्यक्ति की जीविका का दायित्व समाज का होगा |
११.
हर वो व्यक्ति जो कुछ नहीं कर सकता आपातकाल में
जेहर की शीशी रखे | वे बहन-बेटिया जिनकी सुरक्षा उनके सम्बन्धी नहीं कर सकते उनके
लिए बेइज्जती के जीवन से सम्मान की मृत्यु उत्तम है | यद्दपि ये निर्णय उनके स्वं
का होना चाहिए इतिहास में महरानी पद्मावती जैसा उत्तम उदाहरण है जिन्होंने अपने
शरीर को किसी कुत्ते के स्पर्श में नहीं आने दिया |
१२.
आपके पास अब ज्यादा अस्त्र बचे नहीं है अपनी
सरकार के अभाव में जिहादियो का आर्थिक बहिष्कार वो भी तब तक जब तक वे जिहादी ये
नहीं कहते के हम आपकी गाडी में हवा नही भरेंगे आपको सामान नहीं बेचेंगे तुम तो
काफिर हों हमारे अपने लोगो से ही हमारी दूकान चल जाती है | क्यों के आपके पास से
एक वर्ग खत्म हों रहा और वो सरकारी कार्यालयों में पानी पिलाने की नौकरी के लिए मर
जा रहा है |
ऐसी व्यवस्था में आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते जहा राज सत्ता को बनाने
वाला वो वर्ग हों जो आपको घृणा से देखता हों | बिलकुल सभी ऐसे नहीं होते १ बच्चे
पैदा कर के जिहाद में आस्था ना रखने वाले वन्देमातरम गाने वाले उनमे से कुछ तो
वापस आने की चाह रखने वाले मुस्लमान भी है | उनसे मेल-जोल, प्रेम व्यहवार बनाये
रखे क्यों के उन जैसो की संख्या ही कितनी है और यदि वे वापस आना चाहे अपने पूर्वजो
के वैदिक मार्ग पर तो उन्हें सहर्ष स्वीकार करे | उनसे रोटी-बेटी के सम्बन्ध वैसे
ही रखे जैसे अपनी बिरादरी मे रखते है |
ज्यादा लिखने की इच्छा नहीं पर एक कवि की ये २ लाइन जरुर रखूँगा
उसके कत्ल पर मै चुप था, अगला नम्बर मेरा आया
मेरे क़त्ल पर आप चुप हों, अगला नम्बर आपका है
ज्यादा लिखने की इच्छा नहीं पर एक कवि की ये २ लाइन जरुर रखूँगा
उसके कत्ल पर मै चुप था, अगला नम्बर मेरा आया
मेरे क़त्ल पर आप चुप हों, अगला नम्बर आपका है
जी आप ने इस पोस्ट में जो मुगलिस्तान की बेल्ट की चर्चा की है वह तो इतनी सही है कि मैं हैरान रह गया. मैने एक 2011 की जनसंख्या संघनता वाला एक नक्शा देखा जिसमें बांग्लादेश से लगी पं:बंगाल की सीमा पर संघणता अधिक है और साथ ही साथ एक खास पट्टी की संघणता भी ज्यादा है जो उत्तरप्रदेश के पश्चिम में आकर खत्म होती है. इस बात को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाना होगा
ReplyDelete