ये नारा तो हम खूब लगाते हैं पर गर्व करने के कारण समझ नहीं आते | किस बात का गर्व करे, ८०० सालो की गुलामी का , अपने धर्मं मे फैले अन्धविश्वास का , अपने धर्मं मे फैले जातिवाद का , अपने देश के लोगो के भ्रष्ट आचरण का , हमारे ढ़ोंगी समाज का , रूडी वादिताओ का | ये कैसे कारण हैं , यहाँ तो वही नारा सही हैं के सौ मे से निन्यानवे बेईमान फिर भी मेरा भारत महान | आप लोगो मे से बहुतो को ये कारण प्रबल लगते हैं और जब कोई कहता हैं के गर्व से कहो हम आर्य हैं तो मजाक सा लगता होगा | पर क्या कभी इस प्रकार सोचने पर हमने ये चिंतन किया की क्यों कहते हैं हमारे नेता हमे गर्व करने को आखिर कैसा गौरवशाली इतिहास हैं हमारा ?
जब सोचना चालु करेंगे तो उत्तर भी मिलेंगे के क्यों हमे गर्व करना चाहिए अपने आर्य होने पर | हम आर्य हैं ये कहते हुए आखिर क्यों हमारे कंधे चौड़े हो जाते हैं | क्यों हमारी चाल बदल जाती हैं और अपने आप हम गौरान्वित महसूस करते हैं क्या इस शब्द मे कोई जादू हैं | शायद हैं, ये शब्द ही इतने उत्तम अर्थ वाला हैं | और इस शब्द का ही प्रयोग करते हुए हम ही क्यों दुनिया के श्रेष्ठ तम वैज्ञानिक , माहाबली राजा , धन कुबेर , और परिश्रमी मनुष्यजन भी वैसे ही प्रतिक्रिया करते हैं जैसे एक आम आर्य जन |
हां हमे गर्व करना चाहिए अपने आर्य होने पर क्यों की हम दुनिया के बुधिमानतम ऋषियों के वंसज हैं |
हम चक्रवर्ती सम्राटों की संतान हैं | हमारे ही पूर्वज थे जिन्होंने दुनिया भर मे राज किया और सैकड़ो साल किया | हमारा ही पूर्वज थे जो सोने की थालियो मे खाते थे और हमारे ही पूर्वज थे जो सुबह खा ले तो शाम का भी संचित नहीं करते थे | हमारे ही पूर्वज थे जो पहाडो से भी रास्ते निकाल देते थे |
हां हम त्यागी ब्राह्मणों की संताने हैं , वीर क्षत्रियों के वंसज हैं , धन कुबेरों वैश्यों की संताने हैं , परिश्रमी शुद्रो की संताने हैं हम धर्मात्माओ की संताने हैं |
अद्भुत ज्ञान और अतुल्य विनम्रता सिर्फ आर्यावर्त के ऋषियों मे बहुल थी | ब्रह्मा से जेमिनी, कणाद से चाणक्य तक और चाणक्य से दयानंद जैसे विद्वान कहा मिलेंगे सिवाय इस आर्य भूमि के |
आर्यो के कुल मे पैदा हुए महाबली रावण जैसे अनार्य को मरने वाले शूरवीर राम आर्य थे |
सत्य के लिए सब कुछ त्याग देने वाले हरिश्चंद्र आर्य ही तो थे | पूरी दुनिया को पुनः जीतने वाले महाराजा भारत आर्य ही तो थे | अपने बुद्धि बल से भारत को महाविनाश से बचाने वाले वेदानुयायी कृष्ण आर्य नहीं तो और कौन थे | लगातार ५ वर्ष तक युद्ध और ३० वर्ष तक शांति कायम करने वाले महाराजा दानवीर रजा हर्षवर्धन आर्य ही थे | देश धर्मं पर मरने वाले रजा दाहिर आर्य ही थे | दंड देने मे खुद को भी ना छोड़ने वाले महाराजा जयपाल आर्य ही थे | शत्रु सेना मे भये का नाम महाराणा सांगा आर्य ही थे | महाराणा प्रताप जिसे अपना राजा कहना भी गर्व महसूस करता हैं आर्य थे | वीरता और निति कुशल शिवा जी महाराज आर्य ही थे | देश धर्मं पर अपना पूरा कुल न्योछावर करने वाले गुरुगोविंद सिंह आर्य ही थे | रास बहरी बोस, जतिन मुख़र्जी , वीर सवारकर , राम प्रसाद बिस्मिल , नाथूराम गोडसे आर्य ही थे | और आप और हम आर्य ही हैं |
हमारा इतिहास हमे गौरान्वित करता हैं और हमारा साहित्य हमे प्रेरित करता हैं अपने पूर्वजो से भी बहेतर इतिहास बनाने को | वो हमारी माताये थी जिन्होंने अग्नि का सेवन किया हमारे पवित्र कुलों की रक्षा के लिए | किसी देश की औरतो ने जौहर नहीं किया सिवाय भारत की राजपूतानियो और वीरांगनाओ के | हमारी वर्ण व्यवस्था जन्मगत जाती व्यवस्था मे बदल गई इस वजह से हमे अपनी उत्तम वर्ण व्यवस्था पर हमे गर्व करना नहीं छोडना हैं | जिस देश की जनता को उसके धर्मं इतिहास दर्शन से दूर कर दिया जाये वो भ्रष्ट ना होगी तो और क्या होगी | पर हम जानते हैं हम श्रेष्ठ लोग हैं हमारा धर्मं श्रेष्ठ हैं हमारे कानून श्रेष्ठ हैं | बस राष्ट्र निर्माण के लिए आर्यो को आंगे आने की आवयश्कता हैं |
आर्य ग्रामो के निर्माण से आर्य राज्यों के निर्माण तक | और आर्य राज्यों के निर्माण से आर्य राष्ट्र का निर्माण कर के ही हम कृण्वन्तो विश्वार्यम का नारा पूरा कर पाएंगे | पर इस से पहले हमे अपने आप पर विश्वास करना होगा अपनी क्षमताओ पर | आर्यो के लिए कुछ भी ना मुमकिन नहीं | हम ही शासन करने के लिए पैदा हुए हैं | परमात्मा ने इस भूमि पर हमे अधिकार दिया हैं | मुर्ख और बेईमान यहाँ शासन नहीं कर सकते | अब आर्यो का समय हैं इस लिए गर्व करो अपने इतिहास पर और अपने आने वाले भविष्य निर्माण के लिए तैयार हो जाओ |
baaki sab to theek hai par ye 800 varshon ki gulanee vala shabdkuchh sahee nahi laga
ReplyDeleteBandhu, kya mere naa likhane se itihaas badal jaega. Kal ko koi aur kahe meri in baato ke sath to jawab bhi to hona chahiye.
ReplyDeleteItihas se mu mat churaiye samna kariye taki sunahara bhavishya rach sake.