मुझे आशा है, कि यह लेख सांई के भक्तों की आखें खोलेगा, और सभी सांई भक्त अपने सनातन धर्म (वैदिक धर्म) को पहचानने का प्रयास करेंगें |ईश्वर से यही प्राथना है कि हम सभी को अपने वास्तविक धर्म (वैदिक धर्म) को जानने उत्सुक्ता प्रदान करे, जो पूरे संसार के लिये एक मात्र धर्म है, यही सबका कल्याण कर सकता है | चाहे वह मुस्लिम है या हिन्दु, सिक्ख है या ईसाई, ईन सभी के पूर्वज वैदिक धर्म को ही मानते थे, ईन सभी को भी वैदिक धर्म को ही मानना चाहिए,ईसी में सबका कल्याण है |
जब आज तक कभी कोई मुस्लिम तुम्हारे शिव जी की शिवलिंग पर दूध या जल चढ़ाने नहीं आया , कभी तुम्हारे हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाने नहीं आया , कभी तुम्हारे विष्णु जी पर तुलसी-दल या असंख्यों मंदिरो में स्थापित मूर्तियो पर पुष्प चढ़ाने नहीं आया तो तुम किस मुंह से सडी हुयी लाशों के ऊपर बनी कब्रों,दरगाहों और मजारों पर चादर चढ़ाने पहुच जाते हो ? शरम नहीं आती ... वो तुम्हारे भगवान को गालिया देते है , निंदा करते है , और दिन मे एक दो नहीं पाँच पाँच बार मस्जिद से साफ साफ चिल्लाते है कि एकमात्र ईश्वर अल्लाह है और कोई है ही नहीं ... तो तुम्हें सुनाई नहीं देता क्या ये , या फिर तुम्हारी ऐसी कौन सी इच्छा है जो कि हमारे परमकृपालु, दयालु ,भक्तवत्सल भगवान पूरी कर ही नहीं सकते , उसे या तो सड़े हुये मुर्दे की हड्डिया पूरा कर सकती है , या फिर शिरडी मे जन्मा एक मुस्लिम फकीर साई आखिर जाते क्यो हो? जब तुम्हारी प्यास भगवान रूपी ,गंगाजल से नहीं बुझ रही , तो दरगाह और साई रूपी कुए के पानी से कैसे बुझ जाएगी ? गंगाजल को छोडकर कीचड़ की और भागने वाले कितने महामूर्ख होते है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन अंधभक्तों को दुनिया भर के तर्क ,तथ्य ,प्रमाण तक दे दिये , यहा तक कि श्री कृष्ण भगवान द्वारा , गीता माता में इसी विषय पर कहा गया एक श्लोक तक दिखा दिया ... पर इन धूर्तों की बुद्धि , कलयुग के पाप ने इतनी कुंठित,और प्रदूषित कर दी है कि इन्हे समझ ही नहीं आता ... गीता में श्री कृष्ण भगवान जी ने साफ साफ कहा है कि जो जिसे पूजता है वो उसे ही प्राप्त होता है ... यानि मरे हुये व्यक्तियों को सकाम भाव से पूजने वाला पिशाच योनि को प्राप्त होता है ... ये स्वयं श्री कृष्ण ने कहा , तो भी इन मूर्खो मे इतनी भी बुद्धि नहीं बची कि समझ जाये कि साई को पूजने वाले ,मृत्युपर्यंत पिशाच बनकर ही भटकेंगे ........ तुम चाहे कितना भी साई साई चिल्लाओ गला फाड़ फाड़ के,चाहे दरगाहों पर जाकर कितनी भी चादर चढालों , तुम श्री भगवान को तो क्या उनकी कृपा का एक अंश भी प्राप्त नहीं कर सकते ...... ये सत्य है ........
साई ने ऐसा क्या कर दिया था जो कि तुम्हारा गला नहीं दुखता उसकी महिमा गाते गाते ?अरे पूरा भारत उस समय अंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था , साई ने बचाया था क्या ? अगर वो भगवान था या संत था तो उसने गुलामी की बेड़ियो में जकड़ी भारत माता को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए क्या किया था?उस समय श्री कृष्ण की प्रिय सर्वदेवमई गोमाताए काटी जाती थी उनके ऊपर साई कभी क्यो नहीं बोला? भगवान श्री कृष्ण थे , जब कंस के अनुचर गोमाताओ को ले जाने लगे तो , मार कर परलोग पाहुचा दिया था और एक ये साई था कि हजारो गोमाताए रोज कटती रही ये बचाना तो दूर उनके ऊपर कभी बोला तक नहीं ? काहे का भगवान या संत था ये ? संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये , संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे ... इस साई नाम के मुस्लिम पाखंडी फकीर ने जीवन भर तुम्हारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया , और तुम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो ... कितनी भयावह मूर्खता है ये ....महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज इतने मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता ? क्या इस भूमि की सनातनी संताने इतनी बुद्धिहीन हो गयी है कि जिसकी भी काल्पनिक महिमा के गपोड़े सुन ले उसी को भगवान और महान मानकर भेडॉ की तरह उसके पीछे चल देती है ? इसमे हमारा नहीं आपका ही फायदा है .... श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क होता है, श्रद्धालु बनो .... भगवान को चुनो , राम और कृष्ण के बनो .... साई के बनाकर सिर्फ भूत प्रेत बनाकर ही भटकोगे
तुम चाहे कितना भी साई साई चिल्लाओ गला फाड़ फाड़ के,चाहे दरगाहों पर जाकर कितनी भी चादर चढालों , तुम श्री भगवान को तो क्या उनकी कृपा का एक अंश भी प्राप्त नहीं कर सकते ...... ये सत्य है ........
साई ने ऐसा क्या कर दिया था जो कि तुम्हारा गला नहीं दुखता उसकी महिमा गाते गाते ?अरे पूरा भारत उस समय अंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था , साई ने बचाया था क्या ? अगर वो भगवान था या संत था तो उसने गुलामी की बेड़ियो में जकड़ी भारत माता को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए क्या किया था?उस समय श्री कृष्ण की प्रिय सर्वदेवमई गोमाताए काटी जाती थी उनके ऊपर साई कभी क्यो नहीं बोला? भगवान श्री कृष्ण थे , जब कंस के अनुचर गोमाताओ को ले जाने लगे तो , मार कर परलोग पाहुचा दिया था और एक ये साई था कि हजारो गोमाताए रोज कटती रही ये बचाना तो दूर उनके ऊपर कभी बोला तक नहीं ? काहे का भगवान या संत था ये ? संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये , संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे ... इस साई नाम के मुस्लिम पाखंडी फकीर ने जीवन भर तुम्हारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया , और तुम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो ... कितनी भयावह मूर्खता है ये ....महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज इतने मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता ? क्या इस भूमि की सनातनी संताने इतनी बुद्धिहीन हो गयी है कि जिसकी भी काल्पनिक महिमा के गपोड़े सुन ले उसी को भगवान और महान मानकर भेडॉ की तरह उसके पीछे चल देती है ? इसमे हमारा नहीं आपका ही फायदा है .... श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क होता है, श्रद्धालु बनो .... भगवान को चुनो , राम और कृष्ण के बनो .... साई के बनाकर सिर्फ भूत प्रेत बनाकर ही भटकोगे ..... जय श्री राम कृष्ण ......... जय सनातन धर्म
साई भक्तो के लिए दस प्रश्न - अगर किसी भी साई भक्त के पास इन दस प्रश्नो का उत्तर है तो में भी साई का भक्त बनूँगा ...और उत्तर नहीं है तो कृपया मेरी फ्रेंड लिस्ट से विदा लेले..सचिन शर्मा को ऐसे मित्रो की आवश्यकता नहीं है ..चाहे कोई भी हो ... .कोई फालतू की बहस नहीं ....कुतर्क नहीं .......जिसके पास सभी प्रश्नो का सार्थक जवाब हो उत्तर दे .....कोई सुझाव नहीं चाहिए ........ और अगर इनके उत्तर नहीं है ......या इन्हे पढ़ने के बाद शर्म आए ........तो भगवान कि और बढ़ो.....कल्याण होगा...
1 - साई को अगर ईश्वर मान बैठे हो अथवा ईश्वर का अवतार मान बैठे हो तो क्यो?आप हिन्दू है तो सनातन संस्कृति के किसी भी धर्मग्रंथ में साई महाराज का नाम तक नहीं है।तो धर्मग्रंथो को झूठा साबित करते हुये किस आधार पर साई को भगवान मान लिया ? और धर्मग्रंथ कहते है कि कलयुग में दो अवतार होने है ....एक भगवान बुद्ध का हो चुका दूसरा कल्कि नाम से अंतिम चरण में होगा....... ।
2 - अगर साई को संत मानकर पूजा करते हो तो क्यो? क्या जो सिर्फ अच्छा उपदेश दे दे या कुछ चमत्कार दिखा दे वो संत हो जाता है?साई महाराज कभी गोहत्या पर बोले?, साई महाराज ने उस समय उपस्थित कौन सी सामाजिक बुराई को खत्म किया या करने का प्रयास किया?ये तो संत का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है ।और फिर संत ही पूजने है तो कमी थी क्या ?फकीर ही मिला ?
3- अगर सिर्फ दूसरों से सुनकर साई के भक्त बन गए हो तो क्यो? क्या अपने धर्मग्रंथो पर या अपने भगवान पर विश्वास नहीं रहा ?
4 - अगर मनोकामना पूर्ति के लिए साई के भक्त बन गए हो तो तुम्हारी कौन सी ऐसी मनोकामना है जो कि भगत्वतसल भगवान शिवजी , या श्री विष्णु जी, या कृष्ण जी, या राम जी पूरी नहीं कर सकते सिर्फ साई ही कर सकता है?तुम्हारी ऐसी कौन सी मनोकामना है जो कि वैष्णो देवी, या हरिद्वार या वृन्दावन, या काशी या बाला जी में शीश झुकाने से पूर्ण नहीं होगी ..वो सिर्फ शिरडी जाकर माथा टेकने से ही पूरी होगी।
5 - तुम्हारे पूर्वज सुबह और शाम .....श्री राम , या कृष्ण या शिव शिव ही बोलते थे..... फिर तुम क्यो सिर्फ प्रचार को सुनकर ,बुद्धि को भ्रम में डालकर साई साई चिल्लाने लगे हो?
6 - अगर भगवान कि पूजा करनी है तो इतने प्यारे,दयालु ,कृपालु भगवान है न तुम्हारे पास फिर साई क्यो ? अगर संतो की पुजा करनी है तो साई से महान ,ऋषि मुनि है न ..... साई ही क्यो ?
7 -मुस्लिम अपने धर्म के पक्के होते है ......अल्लाह के अलावा किसी और की और मुंह भी नहीं करते .....जब कोई अपना बाप नहीं बदल सकता ....अथवा अपने बाप कि जगह पर किसी और को नहीं देख सकता तो तुम साई को अपने भगवान कि जगह पर देखकर क्यो दुखी या क्रोधित नहीं होते ????
8 -अगर सनातन धर्मी हो तो सनातन धर्म में तो काही साई है ही नहीं ..... तो आप खुद को सनातन धर्मी कहलाना पसंद करोगे या धर्मनिरपेक्षी साई भक्त ????
9 - आप खुद को राम या कृष्ण या शिव भक्त कहलाने में कम गौरव महसूस करते है क्या जो साई भक्त होने का बिल्ला टाँगे फिरते हो .... क्या राम और कृष्ण से प्रेम का क्षय हो गया है .... ?
10 - ॐ साई राम ........ॐ हमेशा मंत्रो से पहले ही लगाया जाता है अथवा ईश्वर के नाम से पहले .....साई के नाम के पहले ॐ लगाने का अधिकार कहा से पाया? जय साई राम .......... श्री मे शक्ति माता निहित है ....श्री शक्तिरूपेण शब्द है ....... जो कि अक्सर भगवान जी के नाम के साथ संयुक्त किया जाता है ....... तो जय श्री राम में से .....श्री तत्व को हटाकर ......साई लिख देने में तुम्हें गौरव महसूस होना चाहिए या शर्म आनी चाहिये?
ये जो नीचे फोटो है ...... ऐसे फोटो आजकल चोराहों पर लगाकार ...भगवान का खुलेआम अपमान और हिन्दुओ को मूर्ख बनाया जा रहा है ? मुस्लिम साई के चक्कर में नहीं पड़ते ....धर्म के पक्के है .....सिर्फ अल्लाह ....... हिन्दू प्रजाति ही हमेशा मूर्ख क्यो बनती है ...... जय श्री राम......जय सनातन धर्म Sabhar:Sachin Sharma facebook
मुझे आशा है, कि यह लेख सांई के भक्तों की आखें खोलेगा, और सभी सांई भक्त अपने सनातन धर्म (वैदिक धर्म) को पहचानने का प्रयास करेंगें |ईश्वर से यही प्राथना है कि हम सभी को अपने वास्तविक धर्म (वैदिक धर्म) को जानने उत्सुक्ता प्रदान करे, जो पूरे संसार के लिये एक मात्र धर्म है, यही सबका कल्याण कर सकता है | चाहे वह मुस्लिम है या हिन्दु, सिक्ख है या ईसाई, ईन सभी के पूर्वज वैदिक धर्म को ही मानते थे, ईन सभी को भी वैदिक धर्म को ही मानना चाहिए,ईसी में सबका कल्याण है |
ReplyDeleteबहुत अच्छा काम कर रहे हैं.आभार..
ReplyDeleteअरे मेरे भाई साईं बाब तांत्रिक ही थे, बिना तंत्र विद्या के चमत्कार बहुत कठिन है. बहुत ऊँचे स्तर का भक्त चाहिए उसके लिये.
ReplyDeleteपर आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि तंत्र और काला इल्म अलग-अलग है, तंत्र के अंदर काला इल्म आ सकता है पर पूरा का पूरा तंत्र काला इल्म नहीं है.
ReplyDeletesai sai japte raho sab ka kalyan ho ga.........ishwar ki apar kripa hai unpar.........................................
ReplyDeleteजब आज तक कभी कोई मुस्लिम तुम्हारे शिव जी की शिवलिंग पर दूध या जल चढ़ाने नहीं आया , कभी तुम्हारे हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाने नहीं आया , कभी तुम्हारे विष्णु जी पर तुलसी-दल या असंख्यों मंदिरो में स्थापित मूर्तियो पर पुष्प चढ़ाने नहीं आया तो तुम किस मुंह से सडी हुयी लाशों के ऊपर बनी कब्रों,दरगाहों और मजारों पर चादर चढ़ाने पहुच जाते हो ? शरम नहीं आती ... वो तुम्हारे भगवान को गालिया देते है , निंदा करते है , और दिन मे एक दो नहीं पाँच पाँच बार मस्जिद से साफ साफ चिल्लाते है कि एकमात्र ईश्वर अल्लाह है और कोई है ही नहीं ... तो तुम्हें सुनाई नहीं देता क्या ये , या फिर तुम्हारी ऐसी कौन सी इच्छा है जो कि हमारे परमकृपालु, दयालु ,भक्तवत्सल भगवान पूरी कर ही नहीं सकते , उसे या तो सड़े हुये मुर्दे की हड्डिया पूरा कर सकती है , या फिर शिरडी मे जन्मा एक मुस्लिम फकीर साई
ReplyDeleteआखिर जाते क्यो हो? जब तुम्हारी प्यास भगवान रूपी ,गंगाजल से नहीं बुझ रही , तो दरगाह और साई रूपी कुए के पानी से कैसे बुझ जाएगी ? गंगाजल को छोडकर कीचड़ की और भागने वाले कितने महामूर्ख होते है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन अंधभक्तों को दुनिया भर के तर्क ,तथ्य ,प्रमाण तक दे दिये , यहा तक कि श्री कृष्ण भगवान द्वारा , गीता माता में इसी विषय पर कहा गया एक श्लोक तक दिखा दिया ... पर इन धूर्तों की बुद्धि , कलयुग के पाप ने इतनी कुंठित,और प्रदूषित कर दी है कि इन्हे समझ ही नहीं आता ...
गीता में श्री कृष्ण भगवान जी ने साफ साफ कहा है कि जो जिसे पूजता है वो उसे ही प्राप्त होता है ... यानि मरे हुये व्यक्तियों को सकाम भाव से पूजने वाला पिशाच योनि को प्राप्त होता है ... ये स्वयं श्री कृष्ण ने कहा , तो भी इन मूर्खो मे इतनी भी बुद्धि नहीं बची कि समझ जाये कि साई को पूजने वाले ,मृत्युपर्यंत पिशाच बनकर ही भटकेंगे ........
तुम चाहे कितना भी साई साई चिल्लाओ गला फाड़ फाड़ के,चाहे दरगाहों पर जाकर कितनी भी चादर चढालों , तुम श्री भगवान को तो क्या उनकी कृपा का एक अंश भी प्राप्त नहीं कर सकते ...... ये सत्य है ........
साई ने ऐसा क्या कर दिया था जो कि तुम्हारा गला नहीं दुखता उसकी महिमा गाते गाते ?अरे पूरा भारत उस समय अंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था , साई ने बचाया था क्या ? अगर वो भगवान था या संत था तो उसने गुलामी की बेड़ियो में जकड़ी भारत माता को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए क्या किया था?उस समय श्री कृष्ण की प्रिय सर्वदेवमई गोमाताए काटी जाती थी उनके ऊपर साई कभी क्यो नहीं बोला? भगवान श्री कृष्ण थे , जब कंस के अनुचर गोमाताओ को ले जाने लगे तो , मार कर परलोग पाहुचा दिया था और एक ये साई था कि हजारो गोमाताए रोज कटती रही ये बचाना तो दूर उनके ऊपर कभी बोला तक नहीं ? काहे का भगवान या संत था ये ?
संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये , संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे ... इस साई नाम के मुस्लिम पाखंडी फकीर ने जीवन भर तुम्हारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया , और तुम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो ... कितनी भयावह मूर्खता है ये ....महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज इतने मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता ?
क्या इस भूमि की सनातनी संताने इतनी बुद्धिहीन हो गयी है कि जिसकी भी काल्पनिक महिमा के गपोड़े सुन ले उसी को भगवान और महान मानकर भेडॉ की तरह उसके पीछे चल देती है ?
इसमे हमारा नहीं आपका ही फायदा है .... श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क होता है, श्रद्धालु बनो .... भगवान को चुनो , राम और कृष्ण के बनो .... साई के बनाकर सिर्फ भूत प्रेत बनाकर ही भटकोगे
Sabhar: Madan Sharma ji facebook
मै आपका दिल की गहराई से समर्थन करता हूँ वेद आर्य जी.
ReplyDeleteसाईं कोई भगवान नहीं है ,वो एक मुस्लिम फ़कीर है इस बात से मैं १००% सहमत हूँ|
ReplyDeleteमेरे लिए तो मेरे बाबा भोले नाथ ही बड़े दयालु हैं |
जय हो भोलेनाथ
हर हर महदेव
तुम चाहे कितना भी साई साई चिल्लाओ गला फाड़ फाड़ के,चाहे दरगाहों पर जाकर कितनी भी चादर चढालों , तुम श्री भगवान को तो क्या उनकी कृपा का एक अंश भी प्राप्त नहीं कर सकते ...... ये सत्य है ........
ReplyDeleteसाई ने ऐसा क्या कर दिया था जो कि तुम्हारा गला नहीं दुखता उसकी महिमा गाते गाते ?अरे पूरा भारत उस समय अंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था , साई ने बचाया था क्या ? अगर वो भगवान था या संत था तो उसने गुलामी की बेड़ियो में जकड़ी भारत माता को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए क्या किया था?उस समय श्री कृष्ण की प्रिय सर्वदेवमई गोमाताए काटी जाती थी उनके ऊपर साई कभी क्यो नहीं बोला? भगवान श्री कृष्ण थे , जब कंस के अनुचर गोमाताओ को ले जाने लगे तो , मार कर परलोग पाहुचा दिया था और एक ये साई था कि हजारो गोमाताए रोज कटती रही ये बचाना तो दूर उनके ऊपर कभी बोला तक नहीं ? काहे का भगवान या संत था ये ?
संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये , संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे ... इस साई नाम के मुस्लिम पाखंडी फकीर ने जीवन भर तुम्हारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया , और तुम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो ... कितनी भयावह मूर्खता है ये ....महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज इतने मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता ?
क्या इस भूमि की सनातनी संताने इतनी बुद्धिहीन हो गयी है कि जिसकी भी काल्पनिक महिमा के गपोड़े सुन ले उसी को भगवान और महान मानकर भेडॉ की तरह उसके पीछे चल देती है ?
इसमे हमारा नहीं आपका ही फायदा है .... श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क होता है, श्रद्धालु बनो .... भगवान को चुनो , राम और कृष्ण के बनो .... साई के बनाकर सिर्फ भूत प्रेत बनाकर ही भटकोगे ..... जय श्री राम कृष्ण ......... जय सनातन धर्म
साई भक्तो के लिए दस प्रश्न - अगर किसी भी साई भक्त के पास इन दस प्रश्नो का उत्तर है तो में भी साई का भक्त बनूँगा ...और उत्तर नहीं है तो कृपया मेरी फ्रेंड लिस्ट से विदा लेले..सचिन शर्मा को ऐसे मित्रो की आवश्यकता नहीं है ..चाहे कोई भी हो ... .कोई फालतू की बहस नहीं ....कुतर्क नहीं .......जिसके पास सभी प्रश्नो का सार्थक जवाब हो उत्तर दे .....कोई सुझाव नहीं चाहिए ........ और अगर इनके उत्तर नहीं है ......या इन्हे पढ़ने के बाद शर्म आए ........तो भगवान कि और बढ़ो.....कल्याण होगा...
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1 - साई को अगर ईश्वर मान बैठे हो अथवा ईश्वर का अवतार मान बैठे हो तो क्यो?आप हिन्दू है तो सनातन संस्कृति के किसी भी धर्मग्रंथ में साई महाराज का नाम तक नहीं है।तो धर्मग्रंथो को झूठा साबित करते हुये किस आधार पर साई को भगवान मान लिया ? और धर्मग्रंथ कहते है कि कलयुग में दो अवतार होने है ....एक भगवान बुद्ध का हो चुका दूसरा कल्कि नाम से अंतिम चरण में होगा....... ।
ReplyDelete2 - अगर साई को संत मानकर पूजा करते हो तो क्यो? क्या जो सिर्फ अच्छा उपदेश दे दे या कुछ चमत्कार दिखा दे वो संत हो जाता है?साई महाराज कभी गोहत्या पर बोले?, साई महाराज ने उस समय उपस्थित कौन सी सामाजिक बुराई को खत्म किया या करने का प्रयास किया?ये तो संत का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है ।और फिर संत ही पूजने है तो कमी थी क्या ?फकीर ही मिला ?
3- अगर सिर्फ दूसरों से सुनकर साई के भक्त बन गए हो तो क्यो? क्या अपने धर्मग्रंथो पर या अपने भगवान पर विश्वास नहीं रहा ?
4 - अगर मनोकामना पूर्ति के लिए साई के भक्त बन गए हो तो तुम्हारी कौन सी ऐसी मनोकामना है जो कि भगत्वतसल भगवान शिवजी , या श्री विष्णु जी, या कृष्ण जी, या राम जी पूरी नहीं कर सकते सिर्फ साई ही कर सकता है?तुम्हारी ऐसी कौन सी मनोकामना है जो कि वैष्णो देवी, या हरिद्वार या वृन्दावन, या काशी या बाला जी में शीश झुकाने से पूर्ण नहीं होगी ..वो सिर्फ शिरडी जाकर माथा टेकने से ही पूरी होगी।
5 - तुम्हारे पूर्वज सुबह और शाम .....श्री राम , या कृष्ण या शिव शिव ही बोलते थे..... फिर तुम क्यो सिर्फ प्रचार को सुनकर ,बुद्धि को भ्रम में डालकर साई साई चिल्लाने लगे हो?
6 - अगर भगवान कि पूजा करनी है तो इतने प्यारे,दयालु ,कृपालु भगवान है न तुम्हारे पास फिर साई क्यो ? अगर संतो की पुजा करनी है तो साई से महान ,ऋषि मुनि है न ..... साई ही क्यो ?
7 -मुस्लिम अपने धर्म के पक्के होते है ......अल्लाह के अलावा किसी और की और मुंह भी नहीं करते .....जब कोई अपना बाप नहीं बदल सकता ....अथवा अपने बाप कि जगह पर किसी और को नहीं देख सकता तो तुम साई को अपने भगवान कि जगह पर देखकर क्यो दुखी या क्रोधित नहीं होते ????
8 -अगर सनातन धर्मी हो तो सनातन धर्म में तो काही साई है ही नहीं ..... तो आप खुद को सनातन धर्मी कहलाना पसंद करोगे या धर्मनिरपेक्षी साई भक्त ????
9 - आप खुद को राम या कृष्ण या शिव भक्त कहलाने में कम गौरव महसूस करते है क्या जो साई भक्त होने का बिल्ला टाँगे फिरते हो .... क्या राम और कृष्ण से प्रेम का क्षय हो गया है .... ?
10 - ॐ साई राम ........ॐ हमेशा मंत्रो से पहले ही लगाया जाता है अथवा ईश्वर के नाम से पहले .....साई के नाम के पहले ॐ लगाने का अधिकार कहा से पाया? जय साई राम .......... श्री मे शक्ति माता निहित है ....श्री शक्तिरूपेण शब्द है ....... जो कि अक्सर भगवान जी के नाम के साथ संयुक्त किया जाता है ....... तो जय श्री राम में से .....श्री तत्व को हटाकर ......साई लिख देने में तुम्हें गौरव महसूस होना चाहिए या शर्म आनी चाहिये?
ये जो नीचे फोटो है ...... ऐसे फोटो आजकल चोराहों पर लगाकार ...भगवान का खुलेआम अपमान और हिन्दुओ को मूर्ख बनाया जा रहा है ? मुस्लिम साई के चक्कर में नहीं पड़ते ....धर्म के पक्के है .....सिर्फ अल्लाह ....... हिन्दू प्रजाति ही हमेशा मूर्ख क्यो बनती है ...... जय श्री राम......जय सनातन धर्म
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